क्या आओगे तुम???
आज अकेले है हम, बस तुम्हारी यादें साथ है,
आकर मेरी जिन्दगी मे उसे यादगार बनाओगे तुम?
आँखों में चमक नही,बस बिछड़ने के आँसू है,
इन्हें रोकने क्या अपना दामन साथ लाओगे तुम?
देखा है जिसे सपनों मे एक राजकुमार की तरह,
क्या वही सूरत और सीरत लेके आओगे तुम?
ढ़ुँढ़ता है जिसे हर पल ये दिल एक धड़कन की तरह,
क्या इस दिल का करार बनके उसे धड़काओगे तुम?
हर सुबह जैसे खिलती है कली की एक एक पंखडि,
हसीन सुबह की रोशनी जीवन मे क्या लाओगे तुम?
दिल टूटा है मेरा एक शीशे की तरह,
माना अब नही जुड़ेगा लाख कोशीशों से,
क्या मेरे इन टूटें टुकडों को बटोरने ही सही,
दिल को मरते वक्त दिलासा देने ही सही,
जुदाई के गम को एक पल भुलाने ही सही,
पता है मुझे तुम लौटकर नही आओगे,
मेरी इस बात को झूठा साबित करने ही सही
क्या कभी वापस लौटकर आओगे भी तुम?
क्या कभी वापस लौटकर आओगे भी तुम?
Saturday, August 4, 2007
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